भारतीय पौराणिक कथाओं की समृद्ध विरासत को एक नए दृष्टिकोण से पेश करता है—HALLA: Antasyah Aarambhah। यह फिल्म न केवल हमारी प्राचीन कथाओं को जीवंत करती है, बल्कि उसे आज के दर्शकों से जोड़ती भी है। इस फिल्म का विचार एक अनोखे सवाल से शुरू हुआ: “अगर समुंद्र मंथन में एक भूला हुआ नायक होता तो?” इसी विचार ने जन्म दिया HALLA को—एक ऐसे नायक की कहानी जिसे विष से जीवन मिला, और जिसने अंधकार से आशा का दीप जलाया।
HALLA, समुंद्र मंथन पर आधारित है, लेकिन यह पारंपरिक कथाओं से बिलकुल अलग है। इस बार कहानी केवल देवताओं और असुरों की लड़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह फिल्म उस चक्रव्यूह को दर्शाती है जहाँ भावनाएँ, राजनीति और व्यक्तिगत संघर्ष भी मंथन का हिस्सा हैं। फिल्म में कई नए किरदारों और मानवीय संवेदनाओं को जोड़ा गया है, जिससे यह कथा पहले से कहीं अधिक गहराई और समकालीनता से भर जाती है।
फिल्म का केंद्रीय पात्र, HALLA, विष से उत्पन्न हुआ एक बालक है। यह प्रतीक है उस परिवर्तन का, जहाँ पीड़ा और अंधकार से रक्षक जन्म लेते हैं। यह कहानी बताती है कि हर अंत में एक नई शुरुआत छिपी होती है—और हर विष में एक अमृत का बीज।
HALLA को विशेष बनाता है इसका अनोखा संतुलन—भव्यता और भावनात्मक सच्चाई का मेल। फिल्म की टीम ने विस्तृत सेट्स, व्यावहारिक इफेक्ट्स और अत्याधुनिक VFX तकनीकों का सहारा लेकर एक ऐसा संसार रचा है, जो दर्शकों को एक नए मिथकीय ब्रह्मांड में ले जाता है। लेकिन इसके साथ ही, कहानी में वह मानवीय संवेदना भी बनी रहती है, जिससे दर्शक नायक की यात्रा से गहराई से जुड़ जाते हैं।
फिल्म की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए टीम ने वेदों, पुराणों, लोककथाओं और क्षेत्रीय मिथकों का गहन अध्ययन किया। लेकिन सिर्फ प्राचीनता नहीं, इसमें रचनात्मक कल्पना का भी समावेश है, जिससे HALLA एक अनूठा अनुभव बन जाता है—न तो पूरी तरह पारंपरिक, न ही पूरी तरह आधुनिक, बल्कि दोनों का संतुलन।
HALLA की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आज के दर्शकों से जुड़ती है। पारंपरिक परिधान, डिज़ाइंस और अनुष्ठानों को बनाए रखते हुए, फिल्म की कहानी में आधुनिक गति, गहराई और संघर्ष को जोड़ा गया है। HALLA की यात्रा यह दिखाती है कि पहचान सिर्फ जन्म से नहीं, बल्कि हमारे द्वारा लिए गए निर्णयों से बनती है।
इस भव्य पौराणिक फिल्म के निर्माता और इसकी संकल्पना के सूत्रधार हैं मनोज महेश्वर, जिनका सिनेमा के प्रति समर्पण इसे एक प्रामाणिक और गहन दृष्टि देता है। निर्देशन की कमान संभाली है भास्कर राम ने, जो बहुचर्चित फ़िल्म “बाहुबली” के एसोसिएट तकनीकी डायरेक्टर होने के साथ साथ, कई लोकप्रिय फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। फिल्म की मूल कहानी को रूप दिया है युवा लेखक सौरभ मिश्रा ने, जिन्होंने समुंद्र मंथन की पृष्ठभूमि में एक नई कल्पनाशक्ति का संचार किया है। फिल्म के निर्माण में सशक्त भागीदारी निभाई है बॉलीवुड के अनुभवी निर्माता सुरज सिंह मास ने, जिन्होंने अमिताभ बच्चन और धोनी के साथ हाल ही में ऐड फ़िल्म का निर्माण किया है ।जबकि सह-निर्माता के रूप में अभिषेक राज और रुद्रांश ने फिल्म की रचनात्मक और प्रोडक्शन प्रक्रिया को मजबूती दी है।
तकनीकी दृष्टि से फिल्म को बेजोड़ बनाने में योगदान दिया है साउथ फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कुशल तकनीकी विशेषज्ञ रंजीत ने, और छायांकन की कमान संभाली है रंजीत मोगुसानी ने, जिनकी कैमरा दृष्टि ने इस पौराणिक गाथा को जीवंत बना दिया है। फिल्म के दृश्य संसार को भव्य और प्रभावशाली बनाने में प्रोडक्शन डिज़ाइनर रामकृष्ण की कल्पनाशक्ति और अनुभव झलकता है। सहलेखन में दिलीप केशव का सहयोग इस कथा को भावनात्मक और बौद्धिक गहराई प्रदान करता है।
निर्माता टीम का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि दर्शकों को प्रेरणा देना भी है। HALLA दर्शकों को साहस, आत्म-खोज, और आशा का संदेश देता है—यह दिखाता है कि अंधकार के भीतर भी एक रक्षक जन्म ले सकता है। हर विष के भीतर एक वरदान छिपा होता है, और हर संघर्ष में एक नई राह।
यह सिर्फ एक पौराणिक फिल्म नहीं, बल्कि एक कालजयी यात्रा है, जो भारतीय सिनेमा में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है।
क्या आप तैयार हैं इस नई गाथा का हिस्सा बनने के लिए?
“जहाँ समुंद्र मंथन की कहानियाँ खत्म होती हैं, HALLA वहीं से शुरू होता है…”