Discussion On The Personality And Works Of Hari Joshi

Discussion On The Personality And Works Of Hari Joshi

हरि जोशी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा

मुम्बई । विश्व हिन्दी अकादमी और मालवा रंगमंच समिति के संयुक्त तत्वावधान में लगभग चालीस पुस्तकों के रचयिता हरि जोशी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर एक परिचर्चा का आयोजन फ़नकार स्टूडियो, अंधेरी पश्चिम में सम्पन्न हुआ। इसमें स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद साहित्यकार हरि जोशी जी अपनी पुत्री अपर्णा द्विवेदी और  दामाद श्री के साथ उपस्थित हुए। अपनी कई पुस्तकों से जुड़ी बातें भी साझा किया। उन्होंने यह भी बताया कि, उनकी आने वाली पुस्तक ‘श्वान ‘ है, जो नव वर्ष की सौगात के रूप में पाठकों तक पहुँच जाएगी।

केशव राय के संचालन में कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। आरम्भ में उनकी पुत्री ने अपने पिता के साथ पिता – पुत्री के सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, ‘पिता जी के पास लिखने के लिए बहुत समय है लेकिन फैमिली के लिए समय नहीं है।’ इस पर अपनी बात रखते हुए डाक्टर प्रज्ञा शर्मा ने पिता- पुत्री और दामाद की सराहना की और कहा कि, ‘जोशी जी ने अपने तीनों बच्चों को बहुत अच्छा संस्कार दिया है। आज उनके पुत्र, पुत्री और दामाद में वह गुण देखने को मिलता है।’

कार्यक्रम के आरंभ में साहित्यकार पवन तिवारी ने जोशी जी की दो कविताओं का सस्वर पाठ और उनके व्यक्तित्व पर चर्चा की। लेखिका नीलम पांडेय ने श्री जोशी की कृतियों पर चर्चा की। पत्रकार- लेखक रमेश यादव ने अपनी पहली मुलाकात के सन्दर्भ से अपनी बात रखी। फिल्मकार राजेश राठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘जोशी जी की कहानियों पर फिल्म बननी चाहिए।’ पत्रकार – लेखक शामी एम् इरफ़ान ने बचपन में धर्मयुग’ में प्रकाशित और ‘किस्से रईसों नवाबों के’ पुस्तक संग्रहीत रचनाओं के हवाले से जोशी जी के कृतित्व पर अपने विचार व्यक्त किये।

इस कार्यक्रम में अभिनेता लेखक- निर्देशक चंपक बनर्जी ने श्री जोशी पर वृतचित्र बनाने की मंशा जाहिर की। विज्ञापन जगत में ख्याति प्राप्त लेखक प्रवीण भटनागर ने श्री जोशी के व्यक्तित्व पर बोलते हुए उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज की बहुत सी यादें ताजी करी। उन्होंने एक स्मृतिचिह्न साहित्यकार हरि जोशी को भेंट करके सम्मानित किया। इस कार्यक्रम का संचालन केशव राय और अंत में धन्यवाद ज्ञापन सुभाष चन्द्र त्रिपाठी ने किया।

 

हरि जोशी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा

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